बवासीर यानी पाइल्स की बीमारी आजकल एक आम समस्या बन चुकी है जिससे हर कोई परेशान है पाइल्स पुरानी कब्ज और टाइट दस्त के कारण हो सकता है ।
जब गुदा व मलाशय के नीचे के क्षेत्र में मौजूद नसों में सूजन और जलन होती है़ तब यह समस्या पाइल्स यानी बवासीर का रूप ले लेती है। वे गुदा के अंदर और आसपास ऊतक वृद्धि का कारण बन सकते हैं और महत्वपूर्ण असुविधा भी पैदा कर सकते हैं। आमतौर पर बवासीर किसी भी प्रकार के अन्य दुष्प्रभावों के लिए जिम्मेदार नहीं होता है लेकिन सही समय पर इसका इलाज नहीं होने पर इसका गंभीर परिणाम भी हो सकता है बवासीर दर्दनाक है।
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बवासीर होने के कारण
वैसे तो बवासीर के कारणों को जानना संभव नहीं होता है। पाइल्स होने का एक कारण मल त्याग करते समय अधिक जोर लगाना भी है। जिसके कारण गर्भावस्था के दौरान भी खुद की नसों पर दबाव पड़ने के कारण तनाव हो जाता है यह महिलाओं में बवासीर का मुख्य कारण बनता है बवासीर मलाशय के अंदर गुदा के पास की त्वचा के नीचे हो सकता है।
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- निचले मलाशय में दबाव बढ़ने के कारण बवासीर होता है।
- पुराना कब्ज
- जीर्ण दस्तभारी
- वजन उठाना
- मल त्याग करते समय जोर लगाना
गर्भावस्था:
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महिलाओं में बवासीर होने का अधिक खतरा तब रहता है जब वह गर्भवती रहती है दरअसल गर्भावस्था के दौरान गर्भाशय फैलता है। इसके कारण कोलन में वेइन पर दबाव पड़ने से यह सूज जाता है जो की बवासीर का कारण बन जाता है।
बुढ़ापा:
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बवासीर का एक कारण बुढ़ापा भी हो सकता है बढ़ते हुए उम्र में यह समस्या अधिक देखने को मिल जाती है। यह 45 से 65 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में अधिक देखा जाता है।दरअसल बुढ़ापे में बवासीर से रक्षा करने वाले टिश्यू खत्म हो जाते हैं। इसके कारण बवासीर उभरने लगता है।
दस्त:
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आमतौर पर बार-बार और लगातार दस्त की शिकायत होने पर बवासीर हो सकता है। इसका मतलब है कि ज्यादा दस्त होना बवासीर की ओर इशारा करता है।
पुरानी कब्ज:
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पुरानी कब्ज के मरीजों को मल त्यागने में अधिक जोर लगाना पड़ता है। इससे नसों में दबाव पड़ने के कारण बवासीर हो सकता है।
अधिक वजन उठाना:
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अधिक बच्चन उठना भी बवासीर का कारण हो सकता है दरअसल जब हम अधिक वजन उठाते हैं तो उस समय सांस रोकने से गुदा पर दबाव बढ़ता है। लंबे समय तक ऐसा करने से गुदा की नसों में सूजन होने लगती है जिससे बवासीर की समस्या बन सकती है।
मोटापा:
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ज़रुरत से ज्यादा वजन होने से व्यक्ति को पाइल्स हो सकता है।यदि आप बवासीर रोग से बचना चाहते हैं तो वजन को संतुलित रखें और हेल्दी डाइट मेंटेन करके रखे । दरअसल पेट बढ़ने के कारण गुदा की मांसपेशियों में दबाव बढ़ता है। जिसके कारण बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है।
आहार: कम फाइबर वाला आहार खाने से किसी व्यक्ति को बवासीर होने की संभावना बढ़ सकती है।
बवासीर कितनी प्रकार की होती है ?
बवासीर के मुख्य चार रूप देखे गए हैं।
आंतरिक बवासीर
आंतरिक बवासीर आमतौर पर मलाशय के अंदर पाया जाता है। यह गुदा की काफी गहराई में होता है। यही कारण है कि कुछ मामलों में यह दिखाई भी नहीं देता है हालांकि आंतरिक बवासीर को एक गंभीर स्थिति पैदा नहीं करता है और समय के साथ ही ठीक भी हो जाता है।
बाहरी बवासीर
बाहरी बवासीर एकदम आंतरिक बवासीर के उल्टे हैं
यह मलाशय के ऊपर ठीक उसी जगह पर होता है जहां से मल बाहर निकलता है। अधिकांश मामलों में यह दिखाई नहीं देता जबकि कुछ मामलों में यह मलाशय की सतह पर गांठ की तरह दिखाई देता है और यहां आंतरिक बवासीर का मुकाबला ठीक होने में भी ज्यादा समय लेता है व गंभीर स्थिति भी पैदा कर देता है।
प्रोलेप्सड बवासीर
प्रोलेप्सड बवासीर आंतरिक बवासीर में सूजन आने की वजह के कारण होता है। आंतरिक बवासीर में सूजन के कारण यह मलाशय से बाहर आ जाता है। इसमें बवासीर एक सूजन ग्रस्त गांठ की तरह या गुदा से बाहर की तरफ निकली हुई गांठ की तरह दिखाई देता है।
खूनी बवासीर
खूनी बवासीर बवासीर की सबसे आखिरी स्टेज होती है और सबसे खतरनाक भी होती है। खूनी बवासीर आंतरिक और बाहरी दोनों तरह के बवासीर में देखी गई है।इसमें खून के थक्के बनने लगते हैं।इससे पीड़ित को काफी दर्द होता है
बवासीर कैसा दिखता है?
एक्सटर्नल और इंटरनल बवासीर दोनों ही एक फुंसी की तरह दिखते हैं। इन्हें छूकर भी महसूस किया जा सकता है। बवासीर आमतौर पर नीले रंग और रबड़ की तरह संरचना होती है। इसके कारण सूजी हुई नसों के अंदर ब्लड क्लॉट्स बनते हैं।
बवासीर के लक्षण क्या होते है ?
गुदा में और उसके आसपास दर्दनाक गांठें
गुदा के आसपास खुजली और बेचैनी
मल त्याग के दौरान और बाद में असुविधा
मल में खून
गला घोंटने वाली बवासीर, जिसमें गुदा की मांसपेशियाँ बवासीर में रक्त की आपूर्ति बंद कर देती हैं
आंतरिक बवासीर के लक्षण:
आंतरिक बवासीर में ब्लीडिंग हो सकती है। और गुदा के आसपास सूजन होने के साथ-साथ खुजली और जलन महसूस हो सकती है। इससे दर्द और असुविधा हो सकती है।
बाहरी बवासीर के लक्षण:
जैसे की हम जानते हैं बाहरी बवासीर मलेशिया यानी रेक्टम में मौजूद होती है। जिसे कई मामलों में देखना या महसूस नहीं किया जा सकता है लेकिन पीड़ित व्यक्ति कोमल त्यागने के दौरान ब्लडिंग हो सकती है इस स्थिति में पीड़ित को दर्द भी महसूस नहीं होता है।
बवासीर में किन चीजों से परहेज करना चाहिए
प्रोसेस्ड मीट: बवासीर जैसी खतरनाक बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को प्रोसेस्ड मीट खाने से बचना चाहिए। यह पाचनतंत्र को प्रभावित करता है। जिससे मल त्यागने में परेशानी हो सकती है।
पॉलिश वाले चावल: बवासीर के मरीज को पॉलिश वाले चावल खाने से बचना चाहिए। पॉलिश किए हुए चावल पूरी तरह से सफेद होते हैं। इनमें फाइबर और पोषण नहीं होता। चावल को पॉलिश करके उसमें स्टार्च भर दिया जाता है। इसके कारण वे पूरी तरह से कार्बोहाइड्रेट से भरे होते हैं। इन चावल को खाने से कब्ज की समस्या हो सकती है। जो आगे चलकर बवासीर का रूप ले लेती है।
डीप-फ्राइड खाना: बवासीर के मरीजों को डीप-फ्राइड खाद्य पदार्थों को खाने से बचना चाहिए। इनमें पोषक तत्वों की कमी होती है और लीवर के लिए हानिकारक होते हैं।
डेयरी उत्पाद: बवासीर के मरीजों को दूध से बने उत्पादों का सेवन नहीं करना चाहिए। यह कब्ज का कारण बन सकते हैं।
बवासीर के उपचार में ये योगासन करे।
सर्वांगासन
बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को सर्वांगासन करना चाइए।
यह बवासीर के दर्द को कम करने में बेहद असरदार है। सर्वांगासन करने के दौरान शरीर उल्टा हो जाता है यानी कि सर नीचे और पैर ऊपर की ओर होते हैं जिससे ब्लड का सर्कुलेशन लोअर बॉडी से ऊपर बॉडी को ओर हो जाता है।
जिससे आंतें भी अपना काम सही तरीके से कर पाती हैं और बवासीर में फायदेमंद मिलता है।
बालासन
बालासन करने से कब्ज कैसे और एसिडिटी जैसे समस्याएं दूर हो जाते हैं इसके अलावा यह आसन को करते वक्त चेहरे और सर की ओर ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है जो सर दर्द से रहता है साथी चेहरे की चमक भी बढ़ता है।
पादहस्तासन
पादहस्तासन पीठ और पैर दर्द दूर करने के साथ मोटापा कम करने के लिए भी असरदार आसन है। इसे करने से पेट की मांसपेशियों को आराम मिलता है इसे करने से मल त्याग के दौरान होने वाली कठिनाइयों का सामना नहीं करना पड़ता है ।
पवनमुक्तासन
पवनमुक्तासन गैस, एसिडिटी, कब्ज, बवासीर जैसे कई समस्याओं से छुटकारा दिलाने में मदद करना है।
यह शरीर में मौजूद गंदगी को भी बाहर निकालता है। इससे करने से पेट की मसल्स रिलैक्स हो जाती हैं जिससे मल त्याग के दौरान जोर नहीं लगाना पड़ता।
बवासीर के इलाज के लिए घरेलू उपाय ।
विच हेजल : बवासीर के मरीज को पीछे चल का उपयोग करना चाहिए यह न केवल खुजली कम करता है बल्कि दर्द भी कम कर देता है।यह एंटी-इंफ्लेमेटरी गुणों से भरपूर होता है। इससे सूजन में कमी आ सकती है।
एलोवेरा:
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एलोवेरा में असाधारण एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो बवासीर के कारण होने वाली जलन को कम करने में लाभदायक साबित हुआ है।
कोल्ड कंप्रेस: जिन व्यक्ति को बड़े और दर्दनाक बवासीर है उन्हें आइस पैक लगाने से आराम मिलता है। इसके लिए बर्फ को एक तौलिए या कपड़े में लपेटकर लगाना चाहिए।
गर्म स्नान: बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को गर्म स्नान करना चाहिए। यह बवासीर की जलन को शांत करने में मदद करता है। गर्म स्नान यानी गर्म पानी से नहाना चाहिए
अंजीर:
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बवासीर के मरीजों को हर सुबह खाली पेट अंजीर का पानी पीना चाहिए इससे बवासीर में काफी आराम मिलता है इसका उपयोग करने के लिए आप रात में तीन अंजीर को पानी में भिगोकर रख दे और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें ।
नींबू:
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नींबू का सेवन करने से बवासीर के दर्द में राहत मिलती है।नींबू का सेवन करने से मल त्याग में आसानी होती है। दरअसल नींबू में फाइबर पाया जाता है जो भोजन पचाने में काफी मदद करता है। बवासीर के दौरान कब्ज या एसिडिटी की शिकायत होती है तो नींबू पानी का सेवन करना चाहिए।नींबू के रस में अदरक और शहद मिलाकर इसका सेवन करने से पाइल्स में फायदा पहुंचता है।
जीरा:
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बादी बवासीर में दर्द और जलन होने पर जीरे के दानों को पानी डालकर पीसकर लेप बना लें। इसे मस्सों वाली जगह पर लगाने से पाइल्स में आराम मिलता है। खूनी बवासीर में आराम के लिए जीरे को भूनकर मिश्री के साथ पीस लें। इसे दिन में 2-3 बार छांछ के साथ लेने से खूनी बवासीर में आराम मिलता है।
पपीता:
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बवासीर के इलाज के लिए पपीता एक महत्वपूर्ण इलाज बताया गया है दरअसल पपीता खाने से हमारे पाचन तंत्र ठीक रहता है। रात के भोजन में पपीता खाएं। इससे कब्ज नहीं होगी और मल त्यागते समय होने वाली पीड़ा से छुटकारा मिलेगा।।