गैस की समस्या से छुटकारा दिलाने वाले 4 योगासन

आज के समय में हर व्यक्ति को गैस और एसिडिटी की समस्या होने लगी है ।गैस और एसिडिटी के लिए सबसे बड़ा योगदान तीखा, मसालेदार और अत्यधिक मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन है। इसके साथ ही धूम्रपान या ज्यादा चाय और कॉफी का सेवन करने से भी यह समस्या ज्यादा होने लगती है। पेट में गैस होने पर पेट में दर्द सूजन जलन के साथ ही सीन और सर में भी दर्द होने लगता है और कई बार पेट में गैस होने पर हमें शर्मिंदा भी होना पड़ता है हालांकि इससे बचने के लिए हम कई घरेलू उपाय भी करते हैं लेकिन कई बार यह काम नहीं आते हैं क्योंकि हमारे केस की समस्या ज्यादा हो जाती है तो आप आपको इसका छुटकारा पाने के लिए योग का सहायता लेना चाहिए। इसके बारे में आज हम आपको विस्तार से बताएंगे यदि आप इनको अपने दिनचर्या में जोड़ लेंगे तो आप गैस जैसी गंभीर समस्या से मुक्त हो जाएंगे।कुछ सरल योग आसनों को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाने पर एसिडिटी और गैस की समस्या को दूर करने में योग बहुत मददगार हो सकता है। तो लिए उसके बारे में हम जानते हैं लेकिन आपको बता दे गैस की हर समस्या के लिए आयुर्वेदिक दवा डॉक्टर एमएचपी गैस केयर चूर्ण काफी फायदेमंद साबित हुआ है इसका उपयोग करने से आपको 90 दिनों के भीतर ही असर देखने शुरू हो जाएगा और आपको सभी परेशानियों से छुटकारा मिल जाएगा

पेट की गैस से राहत दिलाएंगे ये योगासन

1 बिटिलासन

बिटिलासन पेट की परेशानियों से छुटकारा दिलाने में काफी फायदेमंद साबित होता है क्योंकि इसको नियम अनुसार करने पर पेट के भीतरी अंगों को बेहतरीन मसाज मिलती है।इसके करने से पाचन को सुधारने और मेटाबॉलिज्म को नियंत्रण करने में काफी मदद मिलती है। यदि आप लंबे समय से गैस की परेशानी और कब्ज से जूझ रहे हैं तो आपको यह आसन करना चाहिए इससे आपको काफी मदद मिल सकती है।

बिटिलासन करने की विधि :

  • बिटिलासन करने के लिए सबसे पहले आप घुटने को टेक कर बैठ जाए।बता दे इसके करने के लिए आप वज्रासन की मुद्रा में भी बैठ सकते हैं।
  • इसके बादअब अपने दोनों हाथों को फर्श पर आगे की ओर रखें और दोनों हाथों पर थोड़ा सा भार डालते हुए अपने
  • हिप्स को ऊपर उठायें।
  • अब आप जांघों को ऊपर की ओर सीधा करके पैर के घुटनों पर 90 डिग्री का कोण बनने की कोशिश करे।
  • इसके बाद आपकी छाती फर्श के समान्तर होगी और आपकी पोजिशन एक गाय की तरह दिखाई देना शुरू कर देगी।
  • इसके बाद आप अब गहरी और लंबी सांस लेना शुरू करते हैं और अपने सर को पीछे की ओर झुकाएं।
  • अब आप अपनी नाभि को नीचे से ऊपर की ओर ढके हैं और अपनी रीड की हड्डी का निकला हिस्से को ऊपर उठाएं।
  • इसके बस अब आप मुंह की ठुड्डी को अपनी छाती से लगाने का प्रयास करें।।इस स्थिति में अपने घुटनों के बीच की दूरी को देखें।
  • इस मुद्रा को करते वक्त ध्यान रखें की आप अपने हाथ को झुकने न दे।
  • लंबी सांस ले और इस क्रिया को आप 10-20 बार दोहराएं।

बिटिलासन करने के फायदे

  • बिटिलासन करने का सबसे बड़ा फायदा पाचन में सुधार होता है।
  • ये रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन को सुधारने में भी मदद करता है।
  • शरीर में प्राण को सुधारता है।
  • इसे करने से लोअर बैक, मिडिल बैक, गर्दन और कंधों में टेंशन को दूर करता है।
  • साथ ही हाथों, कंधों और कलाई को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • ये आसन हिप ज्वाइंट, घुटने के ज्वाइंट और कंधों के जोड़ को मजबूत बनाने में मदद करता है।
  • बिटिलासन कोर मसल्स को मैक्सिमम टेंशन देकर मजबूत बनाता है।

बिटिलासन करते वक्त बरतने वाली सावधानी

  • इस आसन को करने से पहले याद रखें कि आपका पेट एकदम खाली होना चाहिए।
  • यदि आप शाम को आसन कर रहे हैं तो, भोजन 4 से 6 घंटे पहले करना जरूरी है।
  • यदि आपको गर्दन की समस्या है तो आसन को करते वक्त गर्दन पर ज्यादा जोर ना डालें साथ ही गर्दन को ज्यादा ना मोड़ें।
  • इस आसन को करते वक्त नाभि पर ज्यादा जोर नही देना चाहिए।
  • इसे करते वक्त आपके घुटनों के बीच में थोड़ा सा गैप होना जरूरी है।

2 बालासन

बालासन, साधारण कठिनाई या बेसिक लेवल का आसन है। जिसे विन्यास योग की शैली का आसन भी माना जाता है। बालासन आपको केवल एक से तीन मिनट तक ही करना चाहिए इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है।बालासन, असल में योग करने के दौरान योगियों द्वारा विश्राम करने की मुद्रा है। इस मुद्रा में योगी का शरीर भ्रूण का स्थिति में चला जाता है। ये आसन पाचन से जुड़ी हर समस्या का समाधान कारगर तरीके से करने में सक्षम है।बालासन का अभ्यास हमेशा उस वक्त करना चाहिए जब आप तेजी से सांस ले रहे हों और आराम करना चाहते हों। इसीलिए इस आसन का अभ्यास वर्कआउट या एक्सरसाइज के बीच और बाद में भी किया जा सकता है।

बालासन करने की विधि

  • बालासन करने के लिए सबसे पहले आप योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
  • फिर दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं।
  • इसके बाद धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं।
  • अब कह रही हो लंबी सांस लेते हुए आगे की तरफ झुके।
  • फिर पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें।
  • कमर के पीछे के हिस्से में तसैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें।
  • इसके बाद अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें।
  • अब सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें।
  • अगली स्टेप में अपने हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें और याद रखें दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे।
  • फिर दोनों कंधों को फर्श से छुकाने की कोशिश करें।
  • अंत में अपने कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
  • याद रखें इस स्थिति में 30 सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक बन रहे और धीरे-धीरे
  • अंत में आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
  • इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें।
  • धीरे-धीरे सामने वाले धड़ को खींचते हुए सांस लें
  • और फिर अपने कूल्हे को झुकते हुए टेल बोन को उठाएं और फिर सामान्य हो जाए।

बालासन करने के फ़ायदे

  • बालासन पेट के भीतर के अंगों को भी मसाज देता है।
  • इस आसन के अभ्यास से पेट के भीतरी अंग अच्छे से काम करते हैं।
  • बालासन करने से पूरे शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।
  • बालासन के अभ्यास से घुटने में भी खिंचाव आता है और राहत मिलती है।
  • ये सीने, कमर और कंधों की टेंशन को दूर करने में मदद करता है।
  • ये आसन भ्रूण की आकृति बनाता है, इसलिए शरीर को इस आसन के दौरान उतना ही आराम मिलता है जितना भ्रूण को मां के गर्भ में मिलता है।
  • बालासन करने से आपको थकावट से भी राहत मिलेगी।
  • ये आसन टखनों, हिप्स और जांघों को स्ट्रेच करने में मदद करता है।
  • इसे करने से पीठ का दर्द भी खत्म हो जाता है।
  • बालासन सही ढंग से सांस लेने में मदद करता है और मन को शांत करता है


बालासन करने में क्या सावधानी बरती जाए

  • बालासन में आपको झुकने में मुश्किल होती है तो फर्श पर तकिया रख सकते हैं।
  • डायरिया या घुटनों में चोट से पीड़ित हैं तो बालासन का अभ्यास बिल्कुल न करें।
  • हाई ब्लड प्रेशर के मरीज बालासन को बिल्कुल भी न करें।
  • शुरुआत में बालासन को योग ट्रेनर की देखरेख में ही करें।
  • जब संतुलन बनने लगे तो आप खुद भी ये आसन कर सकते हैं।
  • बालासन का अभ्यास शुरू करने से पहले हमेशा डॉक्टर की सलाह जरूर लें

3 कपाल भाती प्राणायाम

कपाल भाती प्राणायाम आमतौर पर पेट से जुड़े समस्या पाचन विकार और मोटापा के साथ ही पेट से संबंधित कई अन्य विकारों को ठीक करने के लिए किया जाता है क्योंकि इसमें आप अपनी ब्रीदिंग और इंद्रियों पर फोकस करते हैं। यह पाचन मे सुधार करता है। कपालभाति के अभ्यास से शरीर के भीतर वर्षों से जमी हुई अशुद्धियां भी बाहर निकल आती हैं। ये न सिर्फ शरीर बल्कि मन को शांत रखने में भी मदद करता है।

कपालभाति प्राणायाम करने की विधि

  • कपालभाति प्राणायाम करने करने ले लिए आपको अपनी रीड की हड्डी को सीधा रखते हुए बैठना होगा।
  • इसके बाद आप घुटनों पर बैठ जाएं और अपने हाथों को ऊपर की ओर रखें।
  • और फिर गहरी लंबी सांस लें और सांस छोड़ते हुए अपने पेट को अंदर की ओर खींचे।
  • अपने पेट को इस प्रकार से अंदर खींचे की वह रीढ़ की हड्डी को छू ले।
  • साथ ही नाभि को अंदर की ओर खींचे।
  • इस प्रक्रिया को कम से कम 15 से 20 बार करें और याद रखें आपको कपालभाति प्राणायाम के एक कम को पूरा करने के लिए कम से कम 20 बार सांस छोड़ना चाहिए।

कपालभाति प्राणायाम के फायदे

  • कपालभाति प्रणाम से पाचन तंत्र में सुधार होता है साथी इसके करने से वजन कम करने में भी काफी मदद मिलती है।
  • ये पेट की मासपेशियों को सक्रिय करता है जो कि मधुमेह के रोगियों के लिए अत्यंत लाभदायक है।
  • इसके करने से पेट कि चर्भी फलस्वरूप कम हो जाती है।
  • मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र को ऊर्जान्वित करता है और मन को शांत करता है।
  • ये आंखों से स्ट्रेस को दूर करता है और डार्क सर्कल मिटाता है।
  • इसे करने से हमारे शरीर में मौजूद टॉक्सिन और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकलने में मदद होती है।
  • इससे गुर्दे और लिवर के कामकाज में सुधार करता है।
  • इसे करने से ब्लड सरकुलेशन सही हो जाता है ।
  • कपालभाति से फेफड़ों को मजबूती मिलती है और उनकी क्षमता बढ़ जाती है।
  • इसे करने से व्यक्ति अपने डिप्रेशन को भूल जाता है और मोटिवेट हुआ पॉजिटिविटी से भर जाता है।
  • ये अस्थमा और साइनस को ठीक करने में भी मदद करता है।

4 तितली मुद्रा

तितली आसन को आगे झुक कर करना होता है जिससे हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और गैस ऐंठन और पेट की सूजन से भी राहत मिलती है यहां आसान तनाव को कम करने के लिए भी काफी मददगार साबित हुआ है जो कि अच्छे पाचन के लिए काफी आवश्यक है क्योंकि तनाव के कारण भी गैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है आपको बता दे तितली आसन दो शब्दों तितली और आसान से मिलकर बना है। जैसे कि आपको नाम से ही पता चल गया होगा तितली आसन यानी तितली की मुद्रा में बैठना होता है।बता दे इस योग की मुद्रा बद्धकोणासन के समान है।इसलिए कई बार इसे बद्धकोणासन भी समझ लिया जाता है। हालांकि इन दोनों में काफी अंतर है।

तितली मुद्रा करने के विधी

  • तितली मुद्रा करने के लिए आपके पैरों को सामने की ओर फ्लेट हुए बैठना होगा और याद रखें आपकी रीड की हड्डी सीधी रखें।
  • इसके बाद घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को कूल्हा की ओर लाएँ इस दौरान आपके पांव के तलवे एक दूसरे को छुएंगे
  • फिर दोनों हाथों से अपने दोनों पाँव को कस कर पकड़े
  • इसके बाद आप एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें।
  • इस पोजीशन के बाद आप लंबी,गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए घुटनो एवं जांघो को फर्श की ओर दबाएँ।
  • अब आप तितली के पंखों की तरह अपने दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें।
  • आप अपने पैरों को हिलाने की गति बढ़े और गहरी सांस लेते रहे।
  • अंत में साँस छोड़ते हुए धीरे से मुद्रा से बाहर आएँ,पैरों को सामने की ओर फैलाएं।

तितली मुद्रा करने के फायदे

  • तितली मुद्रा करने से आप जैंगो और घुटने का अच्छी तरह से खिंचाव होता है साथ ही कूल्हों में भी लचीलापन बढ़ता है।
  • इसके करने से लम्बे समय तक खड़े रहने और चलने की वजह से होने वाले थकान भी कम होती है
  • महिलाओं के लिए यह योग बहुत लाभकारी है गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी होती है ।
  • इससे पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • ये आंतों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
  • कूल्हों की अंदरूनी तनाव खत्म होता है।
  • तितली मुद्रा करने से शरीर में शेप और जांघों की चर्बी कम करने में भी मदद मिलती हैं।

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