कब्ज को जड़ से दूर करने ले लिए योगासन

कब्ज लगभग हर दूसरा व्यक्ति इस गंभीर समस्या से जूझ रहा है।कब्ज और गैस की समस्या पाचन संबंधी गड़बड़ी की वजह से होती है। हमारे शरीर में गैस अधिक खट्टा, तीखा और मसालेदार खाने के कारण होने लगती है जिसके कारण कब्ज की समस्या भी होती है इसके अलावा बार-बार खाना या फिर बिना भूख के खान और लंबे समय तक पानी न पीना के कारण कब्ज जैसी गंभीर समस्या होती है इन सभी कर्म के कारण व्यक्ति का पेट खराब हो जाता है और पेट में सूजन जलन के साथ ही कब्ज की समस्या पैदा हो जाती है। हालांकि कब्ज से छुटकारा पाने के लिए इलाज संभव है लेकिन लंबे समय तक दवा लेने से कई सारी बीमारियां भी होने लगती है इसके अलावा कब्ज से छुटकारा पाने के लिए घरेलू उपाय भी हैं लेकिन आज हम आपको कब्ज को जड़ से छुटकारा योग के लिए कुछ योग बताएंगे। हर समस्या के लिए अलग-अलग प्रकार के योग और व्यायाम बताए गये हैं। ऐसे ही योग और व्यायाम भी कब्ज का रामबाण इलाज है। गैस, पेट दर्द और कब्ज के लिए योगासन का नियमित अभ्यास करने से आपको बहुत जल्द और स्थायी रूप से आराम महसूस होगा। लेकिन आप कब्ज़ से छुटकारा पाने के लिए किसी दवा की तलाश कर रहे हैं और जिसका कोई साइड इफेक्ट भी ना हो तो आप आयुर्वेद का डॉ एमएचपी का कब्ज केयर चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते हैं यह आपके पेट में कब्ज की बीमारी के साथ है पेट में गैस ,जलन, सूजन और दर्द के लिए भी इलाज करता है। इसे 100% प्राकृतिक जड़ी बूटियां से बनाया गया है इसमें 27 तरह की जड़ी बूटियां का उपयोग कर गया है इसका इस्तेमाल करने से 15 से 90 दिनों के भीतर ही आपको सहायता मिलना शुरू हो जाएगी।

कब्ज क्या है ?


कब्ज एक ऐसी गंभीर समस्या है जिससे इंसान का मल बहुत कड़क हो जाता है और मल त्यागने के दौरान परेशानी होती है तो उस स्थिति को कब्ज कहा जाता हैं। दरअसल पाचन तंत्र के खराब होने के कारण हमारे शरीर से मैल निकालने की मात्रा बहुत कम हो जाती है और मल निकालने के लिए अधिक जोर भी लगाना पड़ता है कब्ज के दौरान मल निकालने की संख्या भी घट जाती है। कब्ज के कारण पेट और गुदा में दर्द जैसे समस्याएं भी होने लगती है।आजकल कब्ज की समस्या से बच्चे, बुजुर्ग और लगभग सभी उम्र के लोग जूझ रहे हैं। जिसे सिर्फ एक ही कारण है कि अनियमित जीवनशैली।कब्ज में सिर्फ गैस की समस्या होती है यानी पेट में सिर्फ गैस बनती है। कब्ज और गैस की समस्या से परेशान हर व्यक्ति के लिए इसके अलग मायने हैं। कुछ लोगों के लिए कब्ज असमय होने वाला मल त्याग है तो कुछ लोगों के लिए कठिन मल त्याग है। समस्या जो भी हो, लेकिन इसका मूल कारण हमारी अनहेल्दी लाइफस्टाइल ही है। आहार में ताज़े फल और हरी पत्तेदार सब्जियों की कमी से, विशेष रूप से भोजन जिसमें फाइबर कम हो ये सभी कब्ज का कारण बन सकता है इसके अलावा कम पानी पीने से भी कब्ज की समस्या होती है।

कब्ज के लक्षण

  • अचानक चक्कर आना और जी मिचलाना भी कब्ज के लक्षण है।
  • एक हफ्ते में केवल तीन से चार बार ही मल त्याग करना।
  • सूखा और कठोर मल आना के साथ ही मल त्यागने के लिए जोर लगाना।
  • जब आप सांस ले तो उसमें बदबू आना और लगातार नाक बहना।
  • शौच के बाद भी पेट साफ न होना और पेट में मरोड़ पड़ना।
  • दिन भर कमजोरी जैसा महसूस करना।
  • आंखों में जलन करना या कमर दर्द।
  • खाना खराब होना या पेट भारीपन होना।
  • चेहरे पर मुहासे निकल आना।
  • जब आप ऐसा महसूस करते हैं कि आपकी आंखें पूरी तरह से खाली नहीं है तो यह कब्ज के ही लक्षण है।
  • बार-बार अचानक सर दर्द होना।
  • मुंह में छाले होना और जीव का रंग सफेद होना।
  • बवासीर, भगंदर, फिशर रोग होने की संभावना बढ़ जाना
  • आंतों में जख्म व सूजन हो जाना

कब्ज होने के कारण

  • शरीर में कैल्शियम और पोटैशियम की कमी होना
  • अधिक मात्रा में मांस का सेवन करना
  • आंत या लिवर की बीमारी से पीड़ित होना24 घंटे तक मल त्याग न करना कब्ज का सबसे बड़ा कारण होता है।
  • फाइबर से भर भोजन न करने के कारण भी कब्ज हो जाता है।
  • जो फल देरी से बचते हैं उनका अधिक सेवन करने के कारण भी कब्ज होता है ।
  • अच्छी तरह से नींद ना लेने के कारण भी कब्ज की समस्या होती है।
  • बहुत अधिक खा लेना या बहुत देर तक कुछ ना खाने के कारण भी कब्ज होती है।
  • एक दिन में हीचाय और कॉफी बहुत ज्यादा पीना।
  • बदहजमी होना और थायरॉयड हार्मोन का कम होने के कारण
  • मैदा से बने खाने का ज्यादा सेवन करना।
  • धूम्रपान करना व शराब पीने से भी कब्ज़ हो जाता है।
  • भोजन पचने से पहले ही दोबारा भोजन करना या बिना भूख के खाना।
  • बहुत देर तक भूखा रहना या बार-बार उपवास करना
  • यदि आप किसी प्रकार की बीमारी से लंबे समय से पूछ रहे हैं और प्रतिदिन दवा का सेवन करते हैं तो ऐसे में दवा के कारण भी कब्ज होता है।
  • अधिक ज्यादा तनाव लेने के कारण भी कब्ज होता है।

कब्ज से राहत पाने के लिए योगासन

1 मयूरासन

मयूरासन पाचन तंत्र को सही करने में मदद करता है इसलिए स्ट्रेस या पाचन तंत्र में खराबी होने की वजह से होने वाले कब्ज को मयूरासन से ठीक किया जा सकता है मयूरासन करने से आपकी दिमाग की शक्ति का भी विकास होता है। कब्ज के इलाज के लिए आपको मयूरासन अवश्य करना चाहिए।

मयूरासन करने की विधि

  • इसे करने के लिए सबसे पहले घुटनों के बल बैठ जाएं
  • फिर अपने हाथों को जमीन पर अपनी आँखों की तरफ सामने टिकाएं।
  • इसके बाद अब आप अपने दोनों एड़ियों को जोड़ लें और श्वास बाहर निकालते हुए आगे की तरफ झुकने की कोशिश करे।
  • अपने दोनों हाथों की कोहनियों को पेट के पास लगाएं और कोहनियों की मदद से अपनी शरीर को धीरे-धीरे ऊपर उठाएं।
  • कुछ देर के लिए इसी मुद्रा में बने रहने के बाद आप फिर से सामान्य मुद्रा में आ जाएं।
  • इस आसन को आप कम से कम 4 से 5 बार जरूर करें।

मयूरासन करने के फायदे

  • इस आसन को खाने से हमारा मानसिक तनाव सही रहता है।
  • इस आसन को करने से कब्ज और गैस जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने में मदद मिलती है।
  • डायबिटीज के रोगियों के लिए आसान लाभदायक होता है।
  • इस आसन में आगे की तरफ झुका जाता है जिससे कि ब्लड प्रेशर ठीक रहता है।
  • इस आसन को करने से स्क्रीन प्रॉब्लम भी ठीक होती है।

2 पवनमुक्तासन

कब्ज होने का एक कारण इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम भी हो सकता है। जिसमें व्यक्ति कमल कठोर हो जाता है जिसके कारण त्यागते समय उसे जोर लगाना पड़ता है इससे ड्रम के होने के कारण तनाव भी होता है इससे बचने के लिए आप पवनमुक्तासन कर सकते हैं।इस आसन की मदद से पाचन तंत्र की अच्छी मालिश हो जाती है जिससे भोजन का पचना आसान और कब्ज की समस्या दूर हो जाती है।पवनमुक्तासन पाचन तंत्र में फंसी गैसों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे सूजन और परेशानी कम होती है।
पवनमुक्तासन एक उत्कृष्ट आसन है, जो अच्छे पाचन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।

पवनमुक्तासन करने की विधि :

  • इसके करने के लिए पेट के बल शवासन में लेट जाएं। फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे पेट के पास तक ले आएं।
  • सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाएं।
  • अब बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।
  • सिर जमीन से ऊपर उठाएं और घुटने को नाक से छूने की कोशिश करें।
  • नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।
  • धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। इसके आप केवल 3 से 5 बार ही करे

पवनमुक्तासन करने के फ़ायदे

  • इस आसन करने से पेट की सारी गैस आसानी से कुत्ता मार्ग से बाहर निकल जाती है।
  • ये आसान करने से पाचन प्रक्रिया अच्छी रहती है ।
  • एसिडिटी से छुटकारा पाने में मदद करता है।
  • इसे करने से फैट बर्न होता है।
  • इस आसन को करने से हमारा मोटापा भी काम होता है जो कब्ज का कारण भी बन सकता है
  • कमर दर्द, साइटिका, हृदय रोग और गठिया में भी लाभ मिलता है।
  • महिलाओ में गर्भाशय से संबंधित रोगों में पवनमुक्तासन के अपने ही लाभ है।
  • रीढ़ की हड्डी के साथ कमर के निचले हिस्से में तनाव कम होता है।

3 सुप्त बद्धकोणासन

सुप्त बद्धकोणासन की मदद से कब्ज को दूर करना बहुत आसान है। क्योंकि इस योगासन की मदद से इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम कम हो जाता है जिससे कब्ज की समस्या का भी खत्म हो जाता है।

सुप्त बद्धकोणासन करने की विधि

  • इसके करने के लिए सबसे पहले आप शवासन की मुद्रा पर लेट जाएं।
  • फिर अपने दोनों घुटनों को मोड़ें और दोनों तलवों को एक दूसरे से जोड़ें।
  • इसके बाद दोनों तलवों को अपने कूल्हों के पास ले जाएं।
  • याद रखें आपके दोनों तलवे जमीन से टच होना चाहिए।
  • अब अपने दोनों हाथों को सिर के पीछे ले जाएं और फैला लें।
  • इस मुद्रा को लगभग 1 मिनट तक करें और फिर सामान्य हो जाए इसे आप तीन से चार बार कर सकते हैं।

सुप्त बद्धकोणासन करने के फायदे

  • सुप्त बद्धकोणासन करने से खाना पचाने में मदद मिलती है।
  • इसे करने से कमर की मांसपेशियों मजबूत होते हैं।
  • जिन महिलाओं को गर्भाशय खिसकने या बहुमूत्र की शिकायत होती है उनके लिए यह आसन वरदान स्वरुप है
  • यह आसन फेट कम करने में मदद करता है।

4 हलासन

हलासन पाचन तंत्र को तंदुरुस्त बनाए रखने में और पेट में गैस की समस्या को दूर करने के लिए काफी मदद करता है।
इसके खाने से ब्लड सर्कुलेशन भी सही रहता है साथ ही ऑक्सीजन की पूर्ति करने में भी सहायता प्रदान करता है। हलासन करने केवल पेट की परेशानियां खत्म होती है बल्कि यह अपने दिमाग को भी काफी फायदे प्रदान करने में मदद करता है।

हलासन करने की विधि

  • हलासन करने के लिए आप पीठ के बल सीधा लेट जाएं।
  • और फिर दोनों हाथ आपके कमर से टच करे।
  • अब आप धीरे-धीरे अपने दोनों पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं और कमर और पैरों के बीच 90 डिग्री का एक कोण बनाएं।
  • आपको धीरे-धीरे अपने पैरों को और पीछे ले जाना है और कोशिश करनी है कि आपके पैर की उंगलियां फर्श में टच हो जाएं।
  • अगर आपके कमर में दर्द होता है तो पैरों को ज्यादा पीछे न ले जाएं।
  • इस मुद्रा में आप लगभग 1 मिनट तक रहे। इसे ज्यादा समय तक के लिए ना करें विशेषण को आप केवल तीन से चार बार ही करें।

हलासन करने के फ़ायदे

  • हलासन पाचन तंत्र के अंगों की मसाज करता है जो पाचन सुधारने में मदद करता है।
  • हलासन मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है।
  • हलासन करने की मदद से वजन घटाने में भी मदद मिलती है।
  • हलासन करने से थकान भी महसूस नहीं होती है।
  • हलासन करने से रीढ़ की हड्डी में लचीलापन आता है जिसके कारण कमर दर्द से राहत मिलती है।

4 बालासन

बालाचन करने से आपके पेट के संबंधित सभी परेशानियों का इलाज किया जा सकता है। साथ ही बालासन को कब्ज का इलाज भी कहा जाता है। क्योंकि यहां पेट के मांसपेशियों की मसाज करता है और पाचन तंत्र के कार्य को और भी बेहतर बनाए रखने में मदद करता है।जिससे कब्ज की समस्या दूर हो जाती है ।बालासन आपको केवल एक से तीन मिनट तक ही करना चाहिए इसे करने में किसी किस्म के दोहराव की आवश्यकता नहीं होती है।बालासन, असल में योग करने के दौरान योगियों द्वारा विश्राम करने की मुद्रा है। इस मुद्रा में योगी का शरीर भ्रूण का स्थिति में चला जाता है। ये आसन पाचन से जुड़ी हर समस्या का समाधान कारगर तरीके से करने में सक्षम है।बालासन का अभ्यास हमेशा उस वक्त करना चाहिए जब आप तेजी से सांस ले रहे हों और आराम करना चाहते हों। इसीलिए इस आसन का अभ्यास वर्कआउट या एक्सरसाइज के बीच और बाद में भी किया जा सकता है।

बालासन करने की विधि

  • बालासन करने के लिए सबसे पहले आप योग मैट पर घुटनों के बल बैठ जाएं।
  • फिर दोनों टखनों और एड़ियों को आपस में छुआएं।
  • इसके बाद धीरे-धीरे अपने घुटनों को बाहर की तरफ जितना हो सके फैलाएं।
  • अब कह रही हो लंबी सांस लेते हुए आगे की तरफ झुके।
  • फिर पेट को दोनों जांघों के बीच ले जाएं और सांस छोड़ दें।
  • कमर के पीछे के हिस्से में तसैक्रम (sacrum) को चौड़ा करें।
  • इसके बाद अब कूल्हे को सिकोड़ते हुए नाभि की तरफ खींचने की कोशिश करें।
  • अब सिर को गर्दन के थोड़ा पीछे से उठाने की कोशिश करें।
  • अगली स्टेप में अपने हाथों को सामने की तरफ लाएं और उन्हें अपने सामने रख लें और याद रखें दोनों हाथ घुटनों की सीध में ही रहेंगे।
  • फिर दोनों कंधों को फर्श से छुकाने की कोशिश करें।
  • अंत में अपने कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
  • याद रखें इस स्थिति में 30 सेकंड से लेकर कुछ मिनट तक बन रहे और धीरे-धीरे
  • अंत में आपके कंधों का खिंचाव शोल्डर ब्लेड से पूरी पीठ में महसूस होना चाहिए।
  • इसी स्थिति में 30 सेकेंड से लेकर कुछ मिनट तक बने रहें।
  • धीरे-धीरे सामने वाले धड़ को खींचते हुए सांस लें
  • और फिर अपने कूल्हे को झुकते हुए टेल बोन को उठाएं और फिर सामान्य हो जाए।

बालासन करने के फ़ायदे

  • बालासन पेट के भीतर के अंगों को भी मसाज देता है।
  • इस आसन के अभ्यास से पेट के भीतरी अंग अच्छे से काम करते हैं।
  • बालासन करने से पूरे शरीर में रक्त संचार बढ़ता है।
  • बालासन के अभ्यास से घुटने में भी खिंचाव आता है और राहत मिलती है।
  • ये सीने, कमर और कंधों की टेंशन को दूर करने में मदद करता है।
  • ये आसन भ्रूण की आकृति बनाता है, इसलिए शरीर को इस आसन के दौरान उतना ही आराम मिलता है जितना भ्रूण को मां के गर्भ में मिलता है।
  • बालासन करने से आपको थकावट से भी राहत मिलेगी।
  • ये आसन टखनों, हिप्स और जांघों को स्ट्रेच करने में मदद करता है।
  • इसे करने से पीठ का दर्द भी खत्म हो जाता है।
  • बालासन सही ढंग से सांस लेने में मदद करता है और मन को शांत करता है

5 वज्रासन

वैसे तो वज्रासन सभी लोगों को करना चाहिए लेकिन जिन लोगों को भोजन पचाने में समस्या होती है और उन्हें तो यह करना ही चाहिए। भोजन न बचने के कारण कब्ज की समस्या होने लगती है ऐसे लोगों को बस 10 से 20 मिनट तक के लिए प्रदर्शन करना चाहिए।भोजन के बाद वज्रासन का अभ्यास पेट पर हल्का दबाव डालकर पाचन में सहायता करता है, जिससे हाइपरएसिडिटी से बचाव होता है। वज्रासन घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।

वज्रासन करने की विधि

  • इसे करने के लिए घुटने टेक कर बैठ जाएं और अपने पैरों के निचले हिस्से को पीछे की ओर फैलाएं।
  • इसके बाद पैर के अंगूठे एक-दूसरे से मिले होने चाहिए।
  • याद रखे अपनी कमर सीधा रखें ।
  • फिर अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं।
  • अपने सिर को सीधा और अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें।
  • आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान दें और इसे करते रहे ।

वज्रासन करने के फायदे

  • वज्रासन करने से पाचन में सुधार होता है ।
  • जिसकी वजह से यह कठोर चीजों को पचाने में भी सक्षम हो जाता है
  • यह आसन करने से एसिडिटी और कब्ज जैसी समस्याएं नहीं होती है।
  • वज्रासन आपके पिंडली की मांसपेशियों आराम देता है.
  • इसके करने से पैरों, टखने और घुटने के कैप को आराम और मजबूत करता है।
  • ये ध्यान या प्राणायाम के लिए यह एक अच्छा आसन है।

6 तितली मुद्रा

तितली आसन को आगे झुक कर करना होता है जिससे हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और गैस ऐंठन और पेट की सूजन से भी राहत मिलती है यहां आसान तनाव को कम करने के लिए भी काफी मददगार साबित हुआ है जो कि अच्छे पाचन के लिए काफी आवश्यक है क्योंकि तनाव के कारण भी गैस की समस्या उत्पन्न होने लगती है आपको बता दे तितली आसन दो शब्दों तितली और आसान से मिलकर बना है। जैसे कि आपको नाम से ही पता चल गया होगा तितली आसन यानी तितली की मुद्रा में बैठना होता है।बता दे इस योग की मुद्रा बद्धकोणासन के समान है।इसलिए कई बार इसे बद्धकोणासन भी समझ लिया जाता है। हालांकि इन दोनों में काफी अंतर है।

तितली मुद्रा करने के विधी

  • तितली मुद्रा करने के लिए आपके पैरों को सामने की ओर फ्लेट हुए बैठना होगा और याद रखें आपकी रीड की हड्डी सीधी रखें।
  • इसके बाद घुटनो को मोड़ें और दोनों पैरों को कूल्हा की ओर लाएँ इस दौरान आपके पांव के तलवे एक दूसरे को छुएंगे
  • फिर दोनों हाथों से अपने दोनों पाँव को कस कर पकड़े
  • इसके बाद आप एड़ी को जननांगों के जितना करीब हो सके लाने का प्रयास करें।
  • इस पोजीशन के बाद आप लंबी,गहरी साँस ले और साँस छोड़ते हुए घुटनो एवं जांघो को फर्श की ओर दबाएँ।
  • अब आप तितली के पंखों की तरह अपने दोनों पैरों को ऊपर नीचे हिलाना शुरू करें।
  • आप अपने पैरों को हिलाने की गति बढ़े और गहरी सांस लेते रहे।
  • अंत में साँस छोड़ते हुए धीरे से मुद्रा से बाहर आएँ,पैरों को सामने की ओर फैलाएं।

तितली मुद्रा करने के फायदे

  • तितली मुद्रा करने से आप जैंगो और घुटने का अच्छी तरह से खिंचाव होता है साथ ही कूल्हों में भी लचीलापन बढ़ता है।
  • इसके करने से लम्बे समय तक खड़े रहने और चलने की वजह से होने वाले थकान भी कम होती है
  • महिलाओं के लिए यह योग बहुत लाभकारी है गर्भावस्था के दौरान लगातार करने से प्रसव में आसानी होती है ।
  • इससे पैरों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
  • ये आंतों के लिए बहुत लाभकारी सिद्ध होता है।
  • कूल्हों की अंदरूनी तनाव खत्म होता है।
  • तितली मुद्रा करने से शरीर में शेप और जांघों की चर्बी कम करने में भी मदद मिलती हैं।

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