आयुर्वेद बनाम आधुनिक चिकित्सा कौन सी बेहतर है और कैसे?

वर्तमान में चिकित्सा उपचार को दो तरीकों एलोपैथिक और आयुर्वेदिक पर एक नई बहस चल रही है।सवाल है कि आख़िर एलोपैथिक और आयुर्वेदिक में से कौन सी तकनीक अधिक प्रभावी है।इन दोनो में से कौन सी चिकित्सा ज्यादा अच्छी है।इस बारे में पूरी जानकारी जाने लेकिन उससे पहले एलोपैथिक और आयुर्वेदिक चिकित्सा के बारे में जानते है।

आयुर्वेद चिकित्सा क्या होती है ?

आयुर्वेद पांच हजार साल पुरानी चिकित्सा पद्धति है,जिसमे जड़ी बूटि के साथ ही अन्य प्राकृतिक चीजों से उत्पाद, दवा और रोजमर्रा के जीवन में इस्तेमाल होने वाले पदार्थ तैयार किए जाते हैं और आयुर्वेद चिकित्सा हमारी आधुनिक जीवन शैली को सही दिशा देने और स्वास्थ्य के लिए लाभकारी आदतें विकसित करने में सहायक होती है। यदि आपके चेहरे पर फुंसी दाग हो रहे है और आप इससे छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेद दवाओ का उपयोग करना चाहते हैं तो आप सबका भरोसेमंद एमएचपी फेस उबटन का उपयोग कर सकते हैं इसके इस्तेमाल करने के बाद से ही आपके चेहरे में काफी बदलाव होगा साथी आपका चेहरा पहले से कई ज्यादा गुना चमकेगा।इस आप एमएचपी की वेबसाइट से खरीद सकते हैं।

आधुनिक चिकित्सा क्या है ?

आधुनिक चिकित्सा को ही एलोपैथिक चिकित्सा कहा जाता है। एलोपैथिक चिकित्सा में बीमारी को ठीक करने या रोगी की समस्या को हल करने के लिए दवाओं और सर्जरी का उपयोग किया जाता हैं।

तो आखिर इन दोनो में से कौन अधिक अच्छी है ।एलोपैथिक और आयुर्वेदिक ayurveda vs allopathy के बीच यह टकराव बहुत पुराना है। ऐसा माना जाता है कि भारत में आधुनिक चिकित्सा यानी एलोपैथिक का इस्तेमाल 16वीं सदी में शुरू हुआ था। हालंकि उस समय डॉक्टर नहीं हुआ करते थे बल्कि वैद्य, ऋषि, आचार्य, और हकीम लोगों का इलाज किया करते थे और इलाज के तरीके भी अभी के मुकाबले काफी अलग थे।वैज्ञानिकों के अनुसार उस दौरान फैली कई बीमारियों के कारण लाखों लोगों की मौत हुई थी। इन बीमारियों के कारण ही एलोपैथी ने हमारे देश में प्रवेश किया और लोगों का विश्वास को जीता। हालाकि आयुर्वेद ने पहले ही लोगों के विश्वास को जीत लिया था लेकीन एलोपैथी के आने के बाद से ही आयुर्वेद और एलोपैथी के बीच संघर्ष शुरू हो गया, जो की आज भी जारी है।

कई डॉक्टरों और वैज्ञानिकों का मानना है कि एलोपैथी चिकित्सा पद्धति को साक्ष्य आधारित चिकित्सा कहा जाना चाहिए।ayurvedic vs allopathy advantages and disadvantages जिसके पीछे उनका तर्क है कि इस पद्धति में किसी भी दवा या उपचार पद्धति को एक लंबे परीक्षण से गुजरना पड़ता है। और पूरी विधि वैज्ञानिक अनुसंधान पर आधारित है। तो वही आयुर्वेद, उपचार के प्राचीन तरीकों में से एक, पांच हजार साल पुराना माना जाता है। आयुर्वेद का अर्थ है जीवन का विज्ञान । ayurveda and modern correlationअथर्ववेद में 114 श्लोक हैं जो आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार का उल्लेख करते हैं। अथर्ववेद में खांसी बुखार,दस्त, पेट दर्द और त्वचा रोग जैसे कई प्रमुख रोगों का वर्णन किया गया है। इसके अलावा ऋग्वेद में भी 67 औषधियों और यजुर्वेद में 82 औषधियों का उल्लेख है और सामवेद में आयुर्वेद से संबंधित कुछ मंत्रों का वर्णन किया गया है। जहां एलोपैथिक उपचार की आधुनिक पद्धति है तो वहीं आयुर्वेदिक उपचार की प्राचीन पद्धति है आयुर्वेद को धर्म से जोड़कर देखा जाता है। अंग्रेज इस बात से अच्छी तरह वाकिफ थे कि भारत में एलोपैथी का विस्तार आसान नहीं होगा।भारत में जब पहले चेचक फैला था उस समय इसका इलाज आयुर्वेदिक पद्धति द्वारा ही किया गया था।

आज देश भर में कुल 69 हजार सरकारी और निजी अस्पताल हैं, जबकि आयुष अस्पतालों की संख्या सिर्फ 3600 है। इनमें 2 हजार 827 आयुर्वेदिक अस्पताल, 252 यूनानी अस्पताल, सिद्ध चिकित्सा पद्धति के 264 अस्पताल और होम्योपैथी के 216 अस्पताल शामिल हैं। वहीं योग और आयुर्वेदिक उपचार ने भी लोगों को स्वस्थ जीवन शैली के बारे में सिखाया है। आयुर्वेद प्राकृतिक विज्ञान पर आधारित है और इसलिए सभी आयुर्वेदिक उपचार प्रकृति के करीब हैं।आयुर्वेदिक दवाएं प्राकृतिक जड़ी-बूटियों, अर्क और पौधों का उपयोग करती हैं। एलोपैथी पर आयुर्वेद के लाभों में से एक यह है कि जिन जड़ी-बूटियों और पौधों का उपयोग किया जाता है, उनके कभी भी दुष्प्रभाव नहीं होते हैं जो की एलोपैथिक में होते हैं।

आयुर्वेद समस्या होने पर समाधान प्रदान करने तक ही सीमित नहीं है। ayurveda vs allopathy in hindi बल्कि इष्टतम स्वास्थ्य के लिए उपचार प्रदान करता है जिससे आपको किसी भी प्रकार का स्वास्थय समस्याओं का सामना न करना पड़े। आयुर्वेद चिकित्सा का सिद्धांत है कि रोकथाम इलाज से बेहतर है।जो की एलोपैथिक दवा के बिल्कुल विपरीत है जो की लक्षणों को कम करने और उनका इलाज करने पर केंद्रित है।
आयुर्वेद पूरी तरह से अलग दृष्टिकोण अपनाता है और किसी भी असंतुलन की जांच के लिए आपके दोषों को देखता है। जब आपका शरीर संतुलन से बाहर होगा, तो बीमारियां होंगी। असंतुलन के आधार पर स्वास्थ्य की स्थिति छोटी या बड़ी हो सकती है। एलोपैथिक दवा की तुलना में आयुर्वेद सटीक निदान और सस्ता निदान देता है।
जबकि एलोपैथिक दवाओं के ज्यादा इस्तमाल करने से कई बार दुष्प्रभाव भी होता है।

इन दोनों के बीच टकराव के अंत में यही निष्कर्ष निकलता है कि आयुर्वेद एक स्पष्ट विजेता है। क्योंकि आयुर्वेद का मूल ध्यान केंद्रित करता है जिससे स्वास्थ्य समस्या हुई है और फिर उसके अनुसार उपचार प्रदान करता है।आयुर्वेद प्राकृतिक उपचार प्रक्रिया में विश्वास करता है और इस प्रकार से काम करता है और बीमारियों को जड़ से खत्म करने में मदद करता है। आयुर्वेद न केवल रोगसूचक राहत का लक्ष्य रखता है बल्कि व्यक्ति के पूरे शरीर को अच्छे स्वास्थ्य के साथ संरेखित करने में भी मदद करता है। आयुर्वेद मानता है कि किसी व्यक्ति का वातावरण, आदतें, भावनाएं और सोचने के तरीके उसे स्वस्थ रखने के लिए महत्वपूर्ण हैं। आयुर्वेद एक समग्र उपचार दृष्टिकोण प्रदान करता है जो यह सुनिश्चित करता है कि एलोपैथी के मामले में केवल लक्षणों को लक्षित करने के बजाय समस्या को जड़ से हटा दिया जाए।आयुर्वेदिक चिकित्सा आपके शरीर को आराम देता है और ठीक करता है। यह आपको तीव्र खांसी, पुरानी खांसी, सर्दी से प्रभावी रूप से राहत देताहै और सूजन को कम करता है।

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