स्वस्थ हृदय के लिए 3 सर्वश्रेष्ठ योग आसन

आज के समय में लोगों का लाइफस्टाइल इतना व्यस्त हो चुका है की वे अपने आप पर भी ध्यान नहीं दे पा रहे हैं। जिसके कारण कहीं सारी बीमारियां होने लगी है तो वही हार्दिक से संबंधित भी कई बीमारियां होने लगी है आजकल हार्ट अटैक आने की समस्या भी अधिक बढ़ चुकी है।इसलिए अब आप उम्र से बिमारी को नहीं जोड़ सकते हैं बल्कि जितना जल्दी हो सके आपको एक हेल्दी लाइफस्टाइल पर फोकस करना चाहिए। जिसके लिए आपको अपने लाइफस्टाइल में हेल्दी भोजन करना चाहिए और साथ ही योग भी करना चाहिए योगा करने से कई सारी परेशानियां खत्म हो जाती हैं साथ ही आपका शरीर भी तंदुरुस्त रहता है। आज हम आपको बताएंगे कि यदि आप अपना हृदय स्वस्थ रखना चाहते हैं तो किस योग को करना चाहिए और कैसे तो लिए इसके बारे में जानते हैं

लेकिन आपको उससे पहले बता दे की यदि आप हृदय रोग से छुटकारा पाने के लिए आयुर्वेदिक दवा का उपयोग करना चाहते हैं तो डॉ एमएचपी हार्टो 21 चूर्ण का इस्तेमाल कर सकते है। जिसे अर्जुन चाल, गिलोय, दालचीनी, शंखपुष्पी, पुनर्नवा, सर्पगंधा, त्रिफला जैसी 21 हर्बल सामग्रियों से बनाया गया। जिसका उपयोग हर कोई अपने हृदय को शक्ति प्रदान करने और हृदय संबंधी सभी प्रकार की समस्याओं के इलाज के लिए कर सकता है।हार्टो 21 चूर्ण बेहतरीन आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बना है जो उच्च रक्तचाप को कम करने और हृदय की कार्यप्रणाली में सुधार के लिए आवश्यक हैं। हार्टो 21 चूर्ण के दैनिक सेवन से रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी, जिससे अचानक दिल की विफलता का खतरा कम हो जाएगा। इसे आप कंपनी की वेबसाइट से खरीद सकते हैं।योग की शक्ति को महसूस करने और इसके जरिए हृदय को स्वस्थ बनाने की दिशा में सक्रिय कदम उठाने के लिए आज हम आपको 3 ऐसे योगासनों के बारे में बता रहे हैं

हृदय रोग के लिए योगासन

1) ताड़ासन

ताड़ासन हृदय रोग से छुटकारा पाने के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसका नियमित अभ्यास करने से शरीर के पोस्चर में सुधार होने के साथ ही या बैलेंस बनता है। ताड़ासन करने से आपके दिल तक ऑक्सीजन सप्लाई बढ़ती है।इसके अलावा ताड़ासन करने से फेफड़ों की क्षमता विकसित होती है और हृदय रोगों का जोखिम कम होता है। ये स्ट्रेचिंग और शरीर को योग के लिए तैयार करने वाला बेहतरीन योगासन है। और ये आसन सीने की मांसपेशियों में खिंचाव लाकर हार्ट पेशेंट की रक्त संचार प्रणाली को बेहतर बनाने में मदद करता है। ये आसन दिल की बीमारियों को होने से भी रोक सकता है। इसलिए हृदय रोग वाले इसे जरूर करे।

ताड़ासन करने की विधि

  • ताड़ासन करने के लिए सबसे पहले आप सीधे खड़े हो जाएं और दोनों टांगों के बीच हल्की दूरी बना लें।
  • इसके बाद दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाते हुए ऊपर की ओर उठाएं।
  • अब धीरे-धीरे साहस अंदर लेटे हुए शरीर का सारा भार पंजों पर डालते हुए शरीर को ऊपर की तरफ खींचने की कोशिश करें।
  • लगभग 10 से 30 सेकंड इस स्थिति में रहे और सामान्य रूप से सांस लेते रहे।
  • उसके बाद आपको सांस छोड़ते हुए पहले की स्थिति में हम थोड़ी देर शरीर को आराम
  • आप इस प्रक्रिया को बार-बार दोहराएं और लगभग 5 से 10 मिनट तक के लिए करें।
  • ताड़ासन को एक दिन में 2 से 3 बार दोहरा सकते हैं। इससे शरीर में पर्याप्त खींचाव पैदा होगा, जो फायदेमंद होता है। हालांकि, ताड़ासन करते हुए कुछ गलतियां ना करें

ताड़ासन करने के फ़ायदे

  1. पीठ की दर्द से राहत देगा

यदि आपके पेट में भी बार-बार दर्द होने की शिकायत रहती है तो आप इस आसन को कर सकते हैं या आसन करना बहुत ही सरल होता है। इसका सही तरह से अभ्यास करने से पीठ के दर्द की समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है। जब आप इस आसन का अभ्यास करते हुए शरीर को ऊपर की ओर लिफ्ट करते हैं तो स्ट्रेचिंग करने से कमर दर्द से आराम मिलता है।

  1. पोस्चर में सुधार करता है

यदि आपकी जीवनशैली बेहद सुस्त या गतिहीन चल रही है तो यह आसन आपको हर रोज करना चाहिए क्योंकि यह अधिक देर तक बैठे रहने या लेटे रहने से खराब हुए पोस्चर में सुधार करता है। ताड़ासन का अभ्यास आपकी रीढ़ के पोस्चर को सुधारता है। जब आप इस आसन का अभ्यास नियमित रूप से करेगे, तो आप ध्यान देंगे कि पहले से स्थिर रूप से खड़े होने लगे हैं और आपकी मुद्रा में सुधार हुआ है।

  1. लंबाई बढ़ाने में मदद

यह आसान आपकी लंबाई बढ़ाने में भी मदद करता है यदि आप इस आसन का कम उम्र में अभ्यास करना शुरू कर देते हैं तो या आपको लंबाई बढ़ाने में काफी मदद कर सकता है।अगर आपके लिए अब बहुत देर हो चुकी है, तो आप अपने बच्चों को ताड़ासन का अभ्यास शुरू करने के लिए कह सकते हैं।

  1. मानसिक जागरूकता बढ़ती है

योग करने से न केवल मूवमेंट में बदलाव आता है बल्कि आपको ध्यान की क्षमता भी बढ़ता है।यह आसन आपको अपनी चेतना से जुड़ने में मदद करता है और मानसिक जागरूकता बढ़ाता है। इसके अभ्यास से अधिक सतर्क, शांत और रचनाशील महसूस करेंगे। साथ ही यह एकाग्रता में सुधार करने के लिए प्रभावी है।

  1. घुटनों के दर्द से राहत

आज के समय में बूढ़ा हो या जवान हर किसी के घुटनों में दर्द रहने की समस्या होती है ।जिसके कारण में बहुत ज्यादा परेशान हो जाते हैं यदि आप भी इस समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको इस आसन का अभ्यास करना चाहिए। लेकिन ध्यान रहे इसके लिए आपको अपने तलवो को जमीन पर रख कर अभ्यास करना है और पैर की अंगुलियों पर खड़े नहीं होना है।

  1. संतुलन बनाने में मदद

ताड़ासन शरीर के संतुलन को बनाए रखने में मदद करता है क्योंकि इसमें आपको अपने पैरों की उंगलियों पर खड़े होकर शरीर को बैलेंस करना होता है। इसके अभ्यास से लचीलापन भी बढ़ता है।

ताड़ासन करते वक्त रखे ये सावधानियां

ताड़ासन योग करने से कई लाभ मिलते हैं और इसका अभ्यास किसी भी उम्र के लोग कभी भी कर सकते हैं। क्योकी इसका अभ्यास अधिकतर तौर पर सभी के लिए सुरक्षित होता है लेकिन कुछ स्वास्थ्य समस्याओं के साथ लोगों को इस आसन का अभ्यास करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। जिन लोगों को निम्न रक्तचाप की समस्या है, उन्हें यह आसन नहीं करना चाहिए। हालांकि, यदि आप गर्भवती हैं तो इस योग आसन का अभ्यास किसी ट्रेनर के बताए गए अनुसार ही करें।

2) वीरभद्रासन

वीरभद्रासन योग का अभ्यास करने से कई बीमारियों में फायदेमंद होता है। शरीर के संतुलन में सुधार और सहनशक्ति को बढ़ाने के लिए इस आसन का नियमित अभ्यास करना चाहिए। इसके अलावा इस आसन को करने से रक्त परिसंचरण में सुधार होता है।हार्ट रेट को नियंत्रित करने के लिए वीरभद्रासन का अभ्यास कर सकते हैं। इसके अलावा इस आसन को करने से पूरा शरीर लचीला होता है और हृदय की क्षमता में सुधार व हृदय की मांसपेशियां स्वस्थ रहती हैं।इसका अभ्यास अधिकतर लोगों के आसान होता है और साथ ही यह शरीर की ताकत, क्षमता और आत्मविश्वास को बढ़ाने के लिए एक अच्छा आसन है।
याराना केवल हृदय के लिए लाभकारी है बल्कि आपके हाथों कंधों, जांघों और पीठ की मांसपेशियों को भी मजबूत करने में काफी मदद करता है।इस आसन का अभ्यास आप हर रोज कर सकते हैं।

वीरभद्रासन करने की विधि

  • वीरभद्रासन करने के लिए आप सबसे पहले एक साफ स्थान पर सीधे खड़े हो जाएं।
  • इसके अलावा आप चाहे तो ताड़ासन योग मुद्रा में भी खड़े हो सकते हैं यह आपके ऊपर निर्भर करता है।
  • इसके बाद अब अपने दोनों पैरों को 3 से 3.5 फिट फैला लें।
  • फिर अपने दोनों हाथों को ऊपर करें यानि की जमीन के समान्तर रखें।
  • अब अपने दोनों हाथों की हथेलियों को अपने सिर के ऊपर लें जाएं और उनको आपस में जोड़ लें।
  • फिर अपने दाएं पैर के पंजे को 90 डिग्री के कोण पर घुमाएं और बाएं पैर के पंजे को 45 डिग्री घुमाएं
  • इसके बाद अब अपने पैरों को स्थाई रखते हुए सिर्फ ऊपर के शरीर को दाएं पैर की उंगलियों की दिशा में घुमाएं।
  • इस दौरानआपका मुंह भी दाएं पैर की उंगली की दिशा में 90 डिग्री घूम जायेगा।
  • इसके बाद अपने दाएं पैर को घुटने के यहाँ से मोड़े और उस पर 90 डिग्री का कोण बनाए।
  • अब अपने सिर को पीछे की ओर झुका लें और आसमान की ओर देखें।
  • इस स्थिति में आप 30 से 60 सेकंड तक रहें, और फिर सामान्य स्थिति पर आ जाए और फिर यही पूरी प्रक्रिया दूसरे वाले पैर से करना शुरू कर दे

वीरभद्रासन करने के फ़ायदे

  1. मसल्स को मजबूत करता है

वीरभद्रासन न केवल हृदय रोग के लिए फायदेमंद होता है बल्कि आप मसल्स को भी मजबूत करने में मदद करता है। यह आपके कंधों, पैरों, कमर और कूल्हों की मसल्स को मजबूत करने में मदद करता है और उन्हें टोन भी करता है। इस अभ्यास का रेगुलर अभ्यास करने से आपको मसल बिल्डिंग में मदद मिल सकती है।

  1. स्ट्रेच करता है
    वीरभद्रासन को नियमित अभ्यास से आपको अपनी बॉडी को डीप स्ट्रेच देने में मदद मिलती है। यह आपकी जांघों, हिप्स, कंधों, हाथों और गर्दन को फैलाने में और खोलने में मदद करता है। जिससे आपको किसी भी कम हो करने के लिए आलस जैसा महसूस नहीं होता है। इसके रेगुलर अभ्यास से आपको अपने शरीर के अतिरिक्त फैट को बर्न करने में मदद मिल सकती है।
  2. रक्त संचार को बढ़ाता है
    वीरभद्रासन का अभ्यास करने से आपके शरीर में रक्त का संचार बढ़ता है। जिससे आपका हृदय भी मजबूत रहता है।हमारे शरीर के सभी अंगों को रक्त के जरिए ही ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है जिससे वे सही तरह से फंक्शन कर पाते हैं। वीरभद्रासन का अभ्यास शरीर में ऑक्सीजन की सप्लाई को भी बढ़ाता है।
  3. आत्मविश्वास बढ़ाता है

इस आसन का अभ्यास नियम अनुसार करने से आपको न केवल फिजिकल और मेंटल मिलेंगे बल्कि यहां इमोशनल बेनिफिट्स भी देता है।यह आपके आत्मविश्वास को बढ़ाता है और आपके साहस को बेहतर करता है। यह आपके मन की शांति को भी बढ़ाता है।

  1. कंधों के दर्द को कम करे
    अगर आपके कंधों और गर्दन में दर्द रहता है तो आप इस आसन का अभ्यास कर सकते हैं। इस आसन का अभ्यास गर्दन के दर्द को कम करने में मदद करता है क्योंकि इसके अभ्यास से आपको अच्छा स्ट्रेच मिलता है। अगर आप हर रोज इसका अभ्यास करते हैं तो
  2. बॉडी को टोन करता है
    यदि आप बिना जिम ज्वाइन करें अपनी बॉडी को टोन करना चाहते है तो ये योग एक बेहतर उपाय हो सकता है। योग आसनों का अभ्यास आपकी बॉडी को टोन करने में मदद करता है। वीरभद्रासन भी इन्हीं आसनों में से एक है। यह आपकी बॉडी को फिट और टोन करने में मदद करता है।

वीरभद्रासन करते वक्त रखे ये सावधानियां

  • वैसे तो वीरभद्रासन करना बहुत आसान है लेकिन
  • इस आसन के अभ्यास के दौरान कुछ सावधानियों का ध्यान रखना जरूरी है। जब तक आपके शरीर को इस आसन का अभ्यास करने की आदत ना हो जाए और आप फ्लेक्सिबिलटी के उस लेवल पर ना पहुंचे, तब तक इस आसन को अधिक डीपली ना करें। इसके अलावा
  • जिन लोगों को घुटने से जुड़ी समस्या है। उन्हे इस आसन को कम समय के लिए ही करना चाहिए।साथ ही
  • जिन लोगों को दिल की समस्याएं है या जिन्होंने हाल में दिल की कोई सर्जरी कराई है, उन्हें किसी भी स्टैंडिंग पोज़ में लंबे समय तक खड़ा नहीं होना चाहिए।

3) वृक्षासन

रक्षासन करने से आपका शरीर सही संतुलन बनाने की दिशा में काम करता है इसका अभ्यास प्रतिदिन करने से आपका हाई ब्लड प्रेशर भी कम होने लगता है यह शरीर में लालचीलापन बढ़ाने में मदद करता है। साथ ही श्वसन व हृदय गति में सुधार होता है। इस आसन में योगी का शरीर पेड़ की स्थिति में बन जाता है यही वजह है कि इसका नाम वृक्षासन है और अंग्रेजी में इसे ट्री पोज कहते है और वैसी ही गंभीरता और विशालता को खुद में समाने की कोशिश करता है।वृक्षासन ऐसा योगासन है जो आपके शरीर में स्थिरता, संतुलन और सहनशक्ति लाने में मदद करता है।

वृक्षासन करने की विधि

  • इसे करने के लिए सबसे पहले आप अपने पैरों को आपस में जोड़कर सावधान मुद्रा में खड़े हो जाएं।
  • इसके बाद दोनों हाथ को जांघों के पास ले आएं।
  • और फिर धीरे-धीरे दाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे बायीं जांघ पर रखें।
  • बाद में बाएं पैर को इस दौरान मजबूती से जमीन पर जमाए रखें।
  • और बाएं पैर को एकदम सीधा रखें और सांसों की गति को सामान्य करें।
  • इसके बाद आप धीरे से सांस खींचते हुए दोनों हाथों को ऊपर की तरफ उठाएं।
  • दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर ‘नमस्कार’ की मुद्रा बनाएं।
  • दूर रखी किसी वस्तु पर नजर गड़ाए रखें और संतुलन बनाए रखें।
  • रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें। शरीर मजबूत के साथ ही लचीला भी रहेगा।
  • गहरी सांसें भीतर की ओर खींचते रहें।
  • सांसें छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोड़ दें।
  • धीरे-धीरे हाथों को नीचे की तरफ लेकर आएं।
  • अब दायीं टांग को भी जमीन पर लगाएं।
  • इसके बाद आप सामान्य स्थिति में आ जाएं और फिर इसी प्रक्रिया को दूसरे पैर के साथ भी दोहराएं।

वृक्षासन करने के फायदे

1 मांसपेशियों की मजबूती के लिए

आमतौर पर कई लोगों की मांसपेशियां कमजोर होने लगती है जिसके कारण उन्हें बैठने उठने में भी परेशानी होने लगते हैं यदि आपकी मांसपेशियां भी कमजोर हैं तो आपको वृक्षासन का अभ्यास करना चाहिए यह आपके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है।

2 रीढ़ की हड्डी को मजबूत करें

वृक्षासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से आपकी रीढ़ की हड्डी मजबूत हो जाती है। जिन्हें बैठने में परेशानी होती है उन्हें यह आसान अवश्य करना चाहिए या न केवल रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है बल्कि आपके शरीर के जोड़ों को भी लचीला करता है

  1. सहनशक्ति बढ़ाए

इस आसन से करने से आपकी शारीरिक सहनशक्ति बढ़ाने में मदद होती है।कम सहनशक्ति की समस्या वालों के लिए वृक्षासान लाभदायक है। इसे करने पर धैर्य और सहन करने की शक्ति में इजाफा हो सकता है ।

  1. मजबूत पैरों के लिए
    पैरों की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए भी वृक्षासन फायदेमंद हो सकता है। यह कमजोर पैर वालों के डोरसिफ्लेक्सन और प्लानेर फ्लेक्सियन में सुधार करने में मदद कर सकता है। डोरसिफ्लेक्सन यानी पैरों के पंजों को ऊपर की ओर उठाने की क्षमता और प्लेंटर फ्लेक्सियन यानी पैर के अंगूठे पर वजन संभालने की क्षमता। इस आधार पर इस योगासन को पैरों को मजबूती प्रदान करने के लिए भी उपयोगी माना जा सकता है।
  2. सतर्कता और एकाग्रता में सुधार करे
    वृक्षासन दिमाग को स्वस्थ रखते हुए सतर्कता और एकाग्रता में सुधार कर सकता है। साथ ही यह मूड को बेहतर बनाने में मदद करता है साथ ही ये तनाव से राहत देने में फायदेमंद हो सकता है। इसके अलावा, योग मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह को बढ़ाकर और न्यूरोनल नुकसान को रोककर मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में फायदेमंद हो सकता है

वृक्षासन योग के लिए कुछ सावधानियां

  • अगर आपको मोटापे की समस्या है तो इस आसन को नही करना चाहिए ।
  • यदि आपको गठिया की समस्या है तो भी इस आसन को नहीं करना चाहिए।
  • जिन्हें लोगों को वर्टीगो यानी सिर का चक्कर आता हो, तो भी इस योग को करने से बचना चाहिए
  • गर्भावस्था में योग को अकेले नहीं करना चाहिए। ज्यादा परेशानी होने पर आप इसे करने से बचें

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