गैस राहत व्यायाम: शीर्ष 10 गैस राहत योग व्यायाम
गैस राहत व्यायाम: शीर्ष 10 गैस राहत योग व्यायाम
पेट में गैस होना आम समस्या बन चुकी है इससे लगभग हर एक व्यक्ति परेशान है। मजेदार और चटपटा, स्वादिष्ट खाना खाने के बाद अक्सर पूरे दिन गैस बनने की समस्या होती है। गैस बनने पर थोड़ी-थोड़ी देर में गैस पास भी करनी पड़ती है । वैसे तो गैस बनने से कई समस्याएं होती है।इनमें, जी मिचलाना, उल्टी आना, पेट में दर्द होना, पेट का भरा हुआ महसूस होना, बार-बार शौच का अहसास होना आदि शामिल हैं।
कुछ मामलों में तो इससे सिरदर्द की शिकायत भी होती है। इससे बचने के लिए व्यक्ती कई तरह की दवाइयां लेते है साथ ही घरेलू उपाय भी करते है। हालंकि इनकी मदद से आराम मिल जाता है । लेकिन फिर भी केस बार-बार होने लगती है तो आज हम आपके लिए ऐसे व्यायाम लेकर आए हैं जिससे आपके पेट में बार बार गैस नही बनेगी तो आइए जानते हैं लेकिन उससे पहले आपको बता दे यदि आप आयुर्वेदिक दवा पर विश्वास करते हैं तो डॉक्टर एमएचपी का गैस केयर चूर्ण का इस्तेमाल अवश्य करें इससे आपको गैस से छुटकारा पाने में काफी मदद मिलेगी।
पेट में गैस की समस्या कब और क्यों होती है?
आमतौर पर पेट में गैस की समस्या तब होती है जब जठरांत्र या पेट की आंत का रास्ता हवा या गैस से भर जाता है। जिसके कारण लोग अपने पेट को भरा हुआ या सूजन जैसा महसूस करते है।समस्या होने पर पेट काफी फूल जाता है। इसके साथ ही पेट छूने में सख्त महसूस होता है और दर्द भी होता है। पेट में गैस होने पर पेट में गड़गड़ाहट होना,दुर्गंध युक्त हवा निकलना और बार-बार दबना या मरोड़ उठना अति आम बात है।
पेट में गैस बनने या फूलने की समस्या ज्यादातर भोजन के बाद शुरू होती है। ज्यादातर लोग खाने या पीने के समय थोड़ी बहुत हवा को भी निगल लेते हैं। लेकिन कुछ लोग दूसरों की तुलना में ज्यादा हवा भी निगल लेते है जिसके कारण गैस बनती है।
पेट में गैस की समस्या के लिए व्यायाम ya hum dr mhp ka gas care churn bhi le sakthe.
1 अर्ध मत्स्येन्द्रासन

अर्ध मत्स्येन्द्रासन पाचन अग्नि को उत्तेजित करने में मदद करता है जिससे अधिक गैस को कम करने में मदद मिलती है। इसे करने से पेट भी फैलाता है। अर्ध मत्स्येन्द्रासन को हाफ स्पाइनल पोज़ या वक्रासन भी कहा जाता है।
अर्ध मत्स्येंद्रासन एक बैठकर किया जाने वाला आसन है। जो कि आपकी पाचन क्रिया और पोस्चर को बेहतर करने के लिए काफ़ी हद तक सही है। इस आसन का अभ्यास सुबह में या भोजन करने से कम से कम चार से छह घंटे बाद करना चाहिए। इस आसन का अभ्यास करने पर आपका पेट और आंत खाली होनी चाहिए।
2 पश्चिमोत्तानासन

पश्चिमोत्तानासन आगे की ओर झुकने से पेट के अंगों की मालिश होती है, जिससे पाचन प्रोसेस आसानी से हो जाती है। जिस कारण यह एसिडिटी के लक्षण को काम करता है।
पश्चिमोत्तानासन में बैठकर आगे की तरफ झुककर किया जाने वाला आसन है। ये योगासन पेट में गैस होने की समस्या में किसी थेरेपी की तरह काम करता है। ये आसन ब्लड प्रेशर को भी कम करने में मदद करता है।
पश्चिमोत्तानासन करने की विधि :
- इस योग को करने के लिए दोनों पैरों को एकदम सीधे फैला कर बैठ जाएं।
- याद रखे दोनों पैरों के बीच में दूरी न हो और जितना संभव हो पैरों को सीधा ही रखें और गर्दन सिर और रीड की हड्डी को भी सीधा रखें।
- इसके बाद दोनों हथेलियों को दोनों घुटनों पर रखें।सिर और धड़ को धीरे से आगे की ओर झुकाएं।
- घुटनों को बिना मोड़े हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों को छुएं।
- गहरी श्वास लें और धीरे से श्वास को छोड़ें।
- सिर और माथे को दोनों घुटनों से छूने की कोशिश करें।
- बांहों को झुकाएं और कोहनी से जमीन को छूने की कोशिश करें।
- फिर श्वास को पूरी तरह छोड़ दें और इसी मुद्रा में कुछ देर तक बने रहें। आप इसे करीब तीन से चार बार ही करें।
3 भुजंगासन

भुजंगासन आसन आपकी पेट की मांसपेशियों को फैलाता है जिससे पाचन अंगों में रक्त परिसंचरण को बढ़ाता है और गैस से राहत देता है। बता दे भुजंगासन, सूर्य नमस्कार के 12 आसनों में से 8वां है। भुजंगासन को सर्पासन, कोबरा आसन या सर्प मुद्रा भी कहा जाता है। क्योंकि इस मुद्रा में शरीर सांप की आकृति बनाता है। ये आसन जमीन पर लेटकर और पीठ को मोड़कर किया जाता है। जबकि सिर सांप के उठे हुए फन की मुद्रा में होता है।
भुजंगासन करने की विधि
- इसके करने के लिए आपको पेट के बल जमीन पर लेटना होगा फिर अपनी दोनों हथेलियों को जांघों के पास जमीन की तरफ करके रखें।
- इसके बाद अपने दोनों हाथों को कंधे के बराबर लेकर आएं और दोनों हथेलियों को फर्श की तरफ करें।
- अब अपने शरीर का वजन अपनी हथेलियों पर डालें, सांस भीतर खींचें ।
- इसके बाद अपने सिर को पीछे की तरफ खीचें और साथ ही अपनी छाती को भी आगे की तरफ निकालें।
- इसके बाद अपने हिप्स, जांघों और पैरों से फर्श की तरफ दबाव बढ़ाएं।
- शरीर को इस स्थिति में करीब 15 से 30 सेकेंड तक रखें और सांस की गति सामान्य बनाए रखें। ऐसा महसूस करें कि आपका पेट फर्श की तरफ दब रहा है। लगातार अभ्यास के बाद आप इस आसन को 2 मिनट तक भी कर सकते हैं।
- इस मुद्रा को छोड़ने के लिए, धीरे-धीरे अपने हाथों को वापस साइड पर लेकर आएं।
4 धनुरासन

धनुष मुद्रा करने से न केवल कोर को मजबूत करती है बल्कि पाचन अंगों की मालिश भी करती है, जिससे गैस और सूजन की परेशानी पहले से बहुत ज्यादा काम हो जाती है।बता दे धनुरासन को धनुष आसन या धनुषासन भी कहा जाता है।क्योंकि इस आसन को करने के दौरान शरीर धनुष के जैसा आकार बनाता है। धनुरासन को हठ योग के 12 मूल आसनों में से एक माना जाता है।
धनुरासन करने के विधि
- इस आसन को करने के लिए पेट के बल लेट जाएं और दोनों पैरों को चिपका कर रखे।
- इसके बाद धीरे-धीरे घुटनों को मोड़ें और हाथों से टखने को पकड़ें।
- फिर सांस भीतर की ओर खींचें और सीने को उठाएं और जांघों को जमीन से ऊपर उठाएं।
- सांसें लंबी और गहरी लेते रहें और करीब 15-20 सेकेंड के बाद, सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं
5 पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन पाचन तंत्र में फंसी गैसों को बाहर निकालने में मदद करती है, जिससे सूजन और परेशानी कम होती है। पवनमुक्तासन एक उत्कृष्ट आसन है, जो अच्छे पाचन के लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।
पवनमुक्तासन करने की विधि :
- इसके करने के लिए पेट के बल शवासन में लेट जाएं। फिर बाएं घुटने को मोड़ते हुए उसे पेट के पास तक ले आएं।
- सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में फंसाएं।
- अब बाएं घुटने से सीने को छूने की कोशिश कीजिए।
- सिर जमीन से ऊपर उठाएं और घुटने को नाक से छूने की कोशिश करें।
- नाक को घुटनों से छूने के बाद 10 से 30 सेकेंड तक इसी मुद्रा में रहें।
- धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य हो जाएं। इसके आप केवल 3 से 5 बार ही करे
6 वज्रासन

भोजन के बाद वज्रासन का अभ्यास पेट पर हल्का दबाव डालकर पाचन में सहायता करता है, जिससे हाइपरएसिडिटी से बचाव होता है। वज्रासन घुटनों को मोड़ने के बाद पैरों पर बैठकर किया जाने वाला आसन है। इस योगासन में बैठकर प्राणायाम, कपालभाति व अनुलोम-विलोम किया जा सकता है।
वज्रासन करने की विधि
- इसे करने के लिए घुटने टेक कर बैठ जाएं और अपने पैरों के निचले हिस्से को पीछे की ओर फैलाएं।
- इसके बाद पैर के अंगूठे एक-दूसरे से मिले होने चाहिए।
- याद रखे अपनी कमर सीधा रखें और अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं। अपने सिर को सीधा और अपने हाथों को अपने घुटनों पर रखें। आंखें बंद कर सांसों पर ध्यान दें।
7 उत्तानासन

उत्तानासन पेट के लिए लाभदायक होता है।ये आसन पेट के क्षेत्र में रक्त के प्रवाह को बढ़ावा देता है, जिससे एसिडिटी और अपच को कम करने में मदद मिलती है।
इस आसन के अभ्यास से शरीर को कुछ गजब के फायदे होते हैं। ये आसन न सिर्फ आपके शरीर को हील करता है बल्कि नई जिंदगी भी देता है। उत्तानासन के अभ्यास के समय सिर आपके दिल के नीचे होता है। इस वजह से रक्त का प्रवाह पैरों में होने की बजाय सिर की तरफ होने लगता है। इससे दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की अच्छी-खासी मात्रा पहुंचने लगती है।
उत्तानासन करने की विधि
- इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हाथ हिप्स पर रख लें और सांस ले
- हिप्स और टेलबोन को हल्का सा पीछे की ओर ले जाएं।
- फिर धीरे-धीरे हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं और दबाव ऊपरी जांघों पर आने लगेगा।
- फिर अपने हाथों से टखने को पीछे की ओर से पकड़ें।
- आपका सीना पैर के ऊपर छूता रहेगा।
- जांघों को भीतर की तरफ दबाएं और शरीर को एड़ी के बल स्थिर बनाए रखें।
- सिर को नीचे की तरफ झुकाएं और टांगों के बीच से झांककर देखते रहें।
- इसी स्थिति में 15-30 सेकेंड तक स्थिर बने रहें।
8 हलासन

हलासन आसन पेट के अंगों और थायरॉयड ग्रंथि को उत्तेजित करके पाचन में मदद करता है। ये गैस को नियंत्रित करने में मदद करता है।
हलासन करने की विधि
- सबसे पहले पीठ के बल पर लेट जाएं और अपने हाथों को शरीर से चिपका लें। इस समय हथेलियां जमीन की तरफ रहेंगी। सांस भीतर की ओर खींचते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाएं।
- टांगे कमर से 90 डिग्री का कोण बनाएंगी। दबाव पेट की मांसपेशियों पर रहेगा।
- सीधी टांगों को सिर की तरफ झुकाएं और पैरों को सिर के पीछे ले जाएं।हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर सीधा रख लें।
9 अनुलोम-विलोम

अनुलोम-विलोम श्वास व्यायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करते हैं, इसे करने से तनाव से संबंधित एसिडिटी ट्रिगर को कम करने में मदद मिलेगी। प्राणायाम भी कह सकते हैं। इस श्वास अभ्यास को रोजाना करने से तनाव कम होता है और बेहतर श्वास व रक्त परिसंचरण को बनाए रखने में मदद मिलती है।
अनुलोम-विलोम की विधी
- इसे करने के लिए सबसे पहले एक दम सीधा होकर ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं।
- इसके बाद बाएं हाथ से ज्ञान मुद्रा बनाकर दाएं हाथ के अंगूठे से दाईं नासिका को बंद करते हुए बाईं नासिका से सांस लें
- और फिर बाई नासिका बंद करते हुए दाईं नासिका से सांस छोड़ें।
10 सर्वांगासन

सर्वांगासन, पेट से गैस बाहर निकालने वाले चुनिंदा आसनों में से एक है।सर्वांगासन के अभ्यास से थायरॉयड ग्रंथि में उत्तेजना बढ़ने लगती है और मेटाबॉलिज्म नियमित होने लगता है।सर्वांगासन जैसे उल्टे आसन थायरॉयड और पैराथायराइड ग्रंथियों में रक्त परिसंचरण में सुधार करते हैं, चयापचय को नियंत्रित करते हैं और अम्लता को कम करते हैं।
सर्वांगासन करने की विधि :
- सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं और सांसों की गति सामान्य रखें और फिर हाथों को बगल में रख लें।
- इसके बाद अब धीरे-धीरे अपने पैरों को घुटनों से मोड़कर हिप्स के पास ले आएं।
- हिप्स को जितना हो सके फर्श से ऊपर की तरफ उठाएं। और याद रखे हाथ जमीन पर ही रहेंगे।
- कुछ देर के लिए सांस को रोककर रखें।
- इसके बाद सांस छोड़ते हुए वापस जमीन पर आएं।
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